होली महोत्सव

 दुलारी देवी फाउंडेशन के मुख्यालय पर बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ होली महोत्सव का कार्यक्रम संपन्न हुआ।

 होली महोत्सव में समस्त बच्चों को होलिका दहन एवं होली के पर्व की महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई


 जिसमें निर्देशक महोदया प्रीती पाण्डेय जी द्वारा बच्चों को बताया गया कि पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।


 ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।

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